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Wednesday, December 26, 2012

हैप्पी न्यू इयर!

फोटो: प्रकाश रे 
नया साल आ रहा है,
एक नयी शुरुआत भी हो रही है,
अभी तो अंकुर फूटा है ….
तुम्हे इसे सींचना होगा,
मेहनत लगेगी और देर भी,
तुम विशवास ना खोना, निराश ना होना,
इसे मुरझाने न देना।

ये लड़ाई सौ-पचास लड़कियों की नहीं है,
ये पूरे समाज की है, पूरे सिस्टम की है, हर घर की है,
बदलना सिर्फ सरकार को नहीं है, हर घर को है,
हर उस सोच को है, जो लड़की को संपत्ति समझती है,
कभी बाप की, कभी भाई की, कभी पति की, तो कभी बेटे की,
उस टोकरे को लड़कियों के सर से हटाना है,
जो रख दिया गया है, कभी इज्ज़त तो कभी सम्मान के नाम पे।
अब इस बोझ को उतार कर दम लेना।

मैं मानती हूँ, खाली अनशन पे बैठ जाने से,
या सिर्फ काले बिंदु लगाने से, फांसी पे लटकाने से,
या सख्त कानून बनाने से, सब समस्याएँ हल नहीं होंगी।
पर मैं तह दिल से स्वागत करती हूँ इस नई बोली का,
इस नए जज्बे का, इस प्रोटेस्ट का,
ये शुरुआत है, और कहीं न कहीं से तो होनी ही थी,
अब इसे बुझने न देना।

पार्टीज करना पर प्रोटेस्ट भूल ना जाना,
डिस्कोथेक़ जाना पर नारे भूल ना जाना,
ये जिम्मेदारी ली है तो जिम्मेदारी निभाना।
इस शुभ शुरुआत को अंजाम तक ले जाना,
नया साल आ रहा है,
एक नयी शुरुआत भी हो रही है,

हैप्पी न्यू इयर!



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