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Sunday, December 30, 2012

शामिल हो!


ए मेरे दोस्त अब शामिल हो
ये लड़ाई नहीं उसकी उनकी,
न चंद लम्हों का रहम है
न कुछ लोगों का वेहम है
यह नहीं सियासी सीढ़ी की
यह आवाज़ है आने वाली पीढ़ी की।

ये आजादी की उल्हास हवा
मेरे साँसों में जन्मी
अब तेरे नारों पे पलती
इसकी बिहोश वो अवस्ता
है तेरी मेरी ही गलती
चल बहुत हुआ आराम हराम
क्या रक्खा है?
गिला शिकवा और गाली मैं
आबरू की किसी को क्या परवाह
अब रक्त बहता है नाली मैं
निकल बाहर, आवाज़ उठा, अब बहुत हुआ।

देश में एक स्वतंत्र हवा,
लोकतंत्र की लहराई है,
किया बहुत आराम तूने
भूतकाल की मर्दानी कुर्सीयों पे ,
बहुत दी गालिया धूर्त नेताओं को,
चल आज उन्हें डराया जाए, धमकाया जाए,
हम हैं! ये बताया जाए।
तेरे बिना हम अधूरे है,
चल आज मिल के धूप मैं चला जाए।

चल अब उठ! अब हम सारे जायेंगे
हर शहर मैं इंडिया गेट होगा
कानूनी व्यवस्ता से नहायेगे
चल उठ अब चल बस हुआ बहुत
आलस छोड़, छोड़ अब गद्दी
गत्था कागज़ मोटी कलम उठा
पोस्टर बना, नारे लगा।
हम गायेंगे, गुनगुनायेंगे,
धुप मैं अँधियारा जलाएँगे।
ये धुप भी लगेगी सुहानी,
हम उस सुबह का आगाज़ होंगे, जो करेगी
स्वागत तेरी बेटी का, मेरी बहन का।
जिसमे मासूमो का खून न बहेगा,
न भूखा रोयेगा एक भी बच्चा,
न रोड ने नाम पे खड्डे होंगे,
न एक भी किसान फांसी लगाएगा,
न तेरा सांस लेना दुर्भर होगा तेरे शहर मैं,
न तेरे खून पसीने को बेच के नेता खायेगा।
ये लड़ाई नहीं सिर्फ किसी औरत की,
ये है तेरी बीवी, मेरी माँ, उसकी बहिन की,
ये है गरीब किसान की,
ये हैं मजदूर इंसान की,
ये है नौकरी पेशा लड़के की,
ये है बेरोजगार एक कड़के की,
ये लड़ाई है तेरी और मेरी।
तू शामिल हो के तेरे बिना हम अधूरे हैं,
तू साथ दे, के तू मैं हूँ और मैं तू है।
ये लड़ाई है जागने की, जगाने की,
हर बड़े-छोटे अत्याचार पर आवाज़ उठाने की,
ये लड़ाई है तेरी झूठी सुरक्षा जझ्कोरने की,
ये लड़ाई है मेरी नींद तोड़ने की।
हम सारे मिलकर आयेंगे
बहन, बेटी चल चल अब उठ
अब अपनी कलाई खुद राखी बाँध
रस्सी उठा चूड़ी छिपा।
चल बस बहुत हुआ।
अब पिता, भाई, पति और बेटा
अपने हाथो मेरा श्रृगार करो
के जितनी मैं भीतर सुन्दर हूँ
उतनी ही सुन्दर मैं बाहर लगूं
खोलो वो घर के किवाड़
मुझ को बाहर निकलने दो।
कल मत पछताना जब सो जायगी
ये आवाज़ तेरे अलसाये चेहरे की बदोलत,
जब घर चले जायेंगे ये लोग, जो उतरे है आज सडको पे
पगलाए है, भन्नाए है, इनका मजाक न उड़ाना
व्यंग न कसना, काट खाएगी तेरी आराम कुर्सी
तुझे ही।
अब तो विदेशों मैं भी वर्किंग वीसा मिलना मुश्किल हो गया है।
तब न कहना के आवाज़ नहीं दी थी।
तू है तो हम पूरे है, नहीं तो हम अधूरे है।

एक स्वर मैं एक नारा
हर कदम पे देश हमारा।

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