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Tuesday, December 18, 2012

बहुत हुआ


उठा ले आज बंदूख, के बस बहुत हुआ
बड़ी शरम हुई, बड़ा लिहाज़ हुआ.

जंगल राज है यहाँ, कैसी सिविलाइज़ेशन?
दे काट जो आगे बढ़े के बस बहुत हुआ.

मार बेटी अपनी, बाप इज़्ज़तदार बना,
नंगा कर घुमाई लड़की, गाँव हया का ठेकेदार बना.

पैदा हुई नही के मार दिया, धरम किया?
खरीदी बीवी ५०० टके मैं, लड़की हुई फिर मार दिया.

उठा ले आज बंदूख, के बस बहुत हुआ
बड़ी शरम हुई, बड़ा लिहाज़ हुआ.

ना सुन, ना समझ, अब ख़ूँख़ार बन,
कर संघार आज असुरो का, बन काली के बस बहुत हुआ.

पछाड़ दे आज रावण को खुद, के राम नपुंसक हुआ,
बन सीता अब तू दुर्गा के बस बहुत हुआ.

जांग आज तू दुर्योघन की द्रौपदी चीर दे,
बस पांडुओं ने जुआ बहुत खेल लिया.

उठा ले आज शस्त्र हाथ मैं,
के बस बहुत हुआ!


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