Total Pageviews

Sunday, February 1, 2015

आवाज उठाई आपने?

बड़ा आसान होता है दुसरो को सलाह देना।  दुसरो को सीख देके हममे से अधिकतर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। गरीब को बोलते हैं अमीरों के अत्याचारो के खिलाफ आवाज उठाओ। औरतो को बोलते हैं जुलम मत सहो, आवाज उठाओ। अल्पसंख्यको को बोलते हैं अपने हक के लिए लड़ो, आवाज उठाओ। योन हिंसा का शिकार हुई लड़की को बोलते हैं मत छुपाओ, आवाज उठाओ। घरेलु हिंसा का शिकार औरतो को बोलते हैं, हम तुम्हारे साथ हैं, बस तुम आवाज उठाओ।  और जाने कितनी आवाजों को उठाने का जज्बा देते हैं। बस तुम आवाज उठाओ हम तुम्हारे पीछे खड़े हो जाएँगे। 

बहुत बढ़िया बात है, साथ देना चाहिय, पीछे खड़े होना चाहिए। लेकिन कभी ये सोचा के आवाज उठाना कितना मुश्किल है? कितनी हिम्मत जुटानी पड़ती है? घर परिवार को ताक पे रख देना होता है। नौकरी, रोजी-रोटी को ताक पर रखना होता है। आराम चैन नींद सब को को ताक पे रखना होता है। समाज से लड़ना होता है, सिस्टम से लड़ना होता है, सब तीज त्यौहार भूल एक लड़ाई मैं जुट जाना होता है। और मजेदार बात ये के हक की लड़ाई जीतने की कोई गारंटी नहीं होती। और हमारे देश की नाय व्यवस्था को ना नजरंदाज करते हुए देखे तो कुछ लोगो की पूरी उम्र भी कम पड़ जाती है अपने हक कि लड़ाई लड़ते लड़ते।  

लेकिन जो त्याग है, ये जो लड़ाई है, ये सिर्फ उसकी है जिसने आवाज उठाई, पीछे खड़े होने वाले जन्मदिन भी मनाएंगे, शादी मैं भी जायेंगे, छुट्टी भी मनाएंगे, सिर्फ जब मन किया तुम्हारे पीछे खड़े हो जाएंगे। जब बोर हो जायेंगे ऑफिस मैं तो तुम्हारे लिए स्टेटस अपडेट करेंगे। नहीं नहीं ये मत समझना के मैं पीछे खड़े होने वालो के खिलाफ हूँ, या उनको घटिया मानती हूँ, कतई नहीं। मैं भी पीछे खड़े होने वालो मैं से हूँ। पीछे खड़े होना बहुत जरुरी है, बल्कि साथ मैं खड़े होईये, लड़िये जब तक बन पड़े। 

लेकिन हममे से कितने लोगो ने अपने लिए आवाज उठाई है? आपके साथ ऑफिस मैं हो रहे  भेद भाव के खिलाफ आवाज उठाई है? अपने लाइन मारते, हर असाइनमेंट के बदले काफी को पूछते मेनेजर के खिलाफ आवाज उठाई है? हर प्रमोशन के बदले बिस्तर पे बुलावे (चाहे आपने ठुकरा दिया) पे आवाज उठाई है? अपने हिंसक बॉयफ्रेंड के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है? क्या अपनी बहन के दहेज लोभी सुसुराल वालो के खिलाफ आवाज उठाई है? अपनी काम वाली के लाल-नीले निशानों के खिलाफ आवाज उठाई है? आपकी प्रॉपर्टी का हिस्सा मार जाने वाले भाई के खिलाफ आवाज उठाई है? आपके बचपन को डराने कुचलने वाले मामा/चाचा/अंकल/नौकर/पडोसी जिसका आज भी आपके परिवार में आना जाना है, आवाज उठाई है? और भी जाने कितनी आवाजे …. क्या कोई रिपोर्ट दर्ज कराई है?  

1 comment:

MANPREET SINGH said...

आवाज उठ रही है और जोर से और शोर से उठेगी
आगाज हो चूका है अंजाम तक पहुचेंगे
अब ना रूकेगी मेरी बहन,मेरी पत्नी, मेरी मां,
मेरी चाची, ताई, बुआ पड़ोस रहने वाली मेरी दोस्त
मेरी गर्लफ्रेंड
सब उठेंगी, उखाड़ फैंकेंगी ये महान सभ्याता
और सदियों के सितम को,
बेशर्म कहों, आवारा कहो कहते रहों
अब तुम लाएंगी मेरी बहन मेरे साथ बाजार से ब्रा
तुम मत देना अब मै अपने बच्चों को सेक्स की दूंगा तालीम,
मेरी पत्नी, बहन, मां सब करेंगी तुम्हारी महान सभ्याता का विनाश
होगी एक आवारा, बेशर्म दौर की शुरूआत