Total Pageviews

Sunday, February 1, 2015

जितना भरा, उतना खाली


जितना आगे बाहर बढ़े, उतने हि गहरे अंदर ना उतरे तो भी बात यूँ कि यूँ हि है। जब भी पापा को बताती हूँ के ये देश घूमा, वो आर्टिकल लिखा, इतने पैसै कमाए, तो पापा एक ही बात कहते हैं, "प्राणायाम किया?" "ध्यान में कितने गहरे उतरी?" बचपन में जब पापा से कोई पूछता बेटी क्या बनेगी, तो पापा कहते, "जो करेगी के नहीं करेगी, खुश रहेगी, आनंद में रहेगी।" उन्होंने सिखाया भी ये ही, "बेटा 'जीना' सीखना, और सब तो बाद की बात है। नाचना सीखना, खिलखिलना सीखना, और तो सब तो छिछला है, अस्थाई है।" खुश होगी तो चाय कि दुकान खोल के भी सुखी होगी, और नहीं तो बड़े बड़े बिज़नेसमैन भी पुलों से कूद जाते हैं।

क्योंकि सुख ना किसी देश में है, ना किसी दफ़्तर में। ना किसी धर्म में है, ना किसी झंडे में। ना किसी रिश्ते में है, ना किसी समाज में। सुख तो बाहर है ही नहीं, सुख तो अंदर ही घटेगा। जब ध्यान घटेगा, ठहराव घटेगा, प्रेम घटेगा, विश्वास घटेगा।

पेरिस में लोगों को रोते देखा, अमीरों को बिलखते, ग़रीबी भी दुखी देखी, बड़ी नौकरी भी परेशान देखी। बड़े बड़े क्रांतिकारियों को कुढ़ते देखा, नेताओं को सिकुड़ते देखा। क्यूंकि अंदर तो खोखला मामला था। ना कभी झाँका था, ना कभी संभाला था। कुछ बन के सुख पा जायेगा सिखाया था, लेकिन सुखी रहना तो सिखाया ही नहीं!! कुछ बन जाने में इतना परेशान हो गए, के जो थोड़ा बहुत सुख था वो भी भूल गए। लेकिन सुख का, और कुछ बन जाने का नाता ही क्या?

सुख तो अंदर से आएगा, जब बेपरवाही आएगी, जब भरोसा आएगा। और भरोसा ऐसा, जैसा धरती को है सूरज पे, पेड़ो को है बारिश पे, पक्षियों को है हवा पे, सागर को है नदियों पे। तभी तो सब कैसे सुंदर, मस्त, नाचते-गाते से नज़र आते हैं। ऐसा भरोसा जिसको बड़े से बड़े तुफान ना ढिगा पाएँ, टुच्चे ब्रेकअप और जैबकतरी कि तो बिसात ही क्या। हाँ मुझे तुझ पे भरोसा है, हाँ मुझे 'उस' पे भरोसा है। अब पैसे कमा कर भी, उसको बचाने में ही खुद खर्च हो गए तो क्या मज़ा?

मेरी बिसात बहुत छोटी के तुझे जान जाऊं, इस कमरे कि दिवार के बहार कि समझ नहीं मुझे। लेकिन मेरा विश्वास है तुझ पे, चाहे ना समझ पाउ आज, कल, या जन्मों भर में भी। लेकिन मेरा विश्वास है के, जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो होगा वह भी अच्छा ही होगा। गांव में गोबर से पत्ता-पोइ खेलते वक़्त ये नहीं पता था, के एक दिन लंदन मेफेयर में चैस खेलना हो पायेगा। लेकिन विश्वास तो था। और रहेगा।

No comments: