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Sunday, February 1, 2015

पागल कुत्ते

लड़का चाहे लंगोट बांध के घुमे, चाहे नंगा घुमे, चाहे सूट पहन के घुमे…. लड़कीयों को कभी कोई दिक्कत नहीं होती। ना वो एक नंगे लड़के पे टूट पड़ती हैं। ना कभी उन्हें "बेहया" का तगमा दिया जाता है। अगर कुछ लड़को कि सोच गिरी हुई है तो इसका भुगतान लड़कियां क्यूँ करे?

लड़कीयों के पहनावे के ठेका समाज ने क्यूँ ले रखा है?? कहीं स्कर्ट बैन कर दी जाती हैं, कहीं दुप्पटा जरुरी कर दिया जाता है। कमाल है! शर्म भी नहीं आती इन ठेकेदारों को! थू! कुछ वर्ष पहले सभी पुरुष चोटी रखते थे, हिन्दू होने की पहचान होती थी चोटी। मुछो को भी मर्द होने का प्रतिक माना जाता था। आज ना कोई चोटी रखता है, ना कोई मूछों की परवाह करता है। कभी लड़कियां चिल्लाई के, "ये क्या पाप किये जाते हो", "प्रकर्ति के देन दाढ़ी मूछ मुंडवा के "बेहया" हुए जाते हो!" "चोटी काट के अधर्म किये जाते हो!" लेकिन आपकी मर्जी कि इज्ज़त कि जाती है।

जो जी में आये करो! जब तक किसी दुसरे को नुकसान नहीं पहुंचाती तुम्हारी मर्ज़ी, एकदम जायज़ है। तो फिर नियम कानून सब लड़कियों के सर क्यूँ मढ़े जाएँ? अगर गली में पागल कुत्ते हों, तो बाहर निकलना बंद करते हो? गार्ड पहन के जाते हो? या पागल कुत्तो को गोली मरवा देते हो? अगर पागल कुत्ता काट भी ले, तो क्या दोष तुम्हे दिया जाता है, के बाहर क्यूँ निकले, या इस तरह के कपड़े क्यूँ पहने, तुमने कुत्ते को उकसाया तो नहीं? अरे कुत्ता पागल है, तो या तो कुत्ते का इलाज़ करवाओ, या उसे बंद करो, या गोली मारो दो। कुत्ते हमारी आज़ादी को तो नहीं खतरे में डाल सकते ना?

लड़की की आज़ादी के नाम से ही क्यूँ सीने पे सांप लोटने लगते हैं? क्या डर लगता है? उसकी मर्ज़ी से तुम्हे क्या खतरा महसूस होता है? खुद पे नियंत्रण नहीं है तो ये तुम्हारी समस्या है, ना कि हमारी। और पागल कुत्ते तो २ साल कि बच्ची तक को नहीं बक्शते, क्या दुपट्टा और क्या साड़ी!

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