फिर नया होने को।
भूला सब पुराना ज्ञान
मिटा सब मरियादे-मान
मैं फिर नया होने को तैयार हूँ।
तोड़ सब रिश्ते-नाते
भुला दोस्ती-दुश्मनी कि बाते
मैं फिर नया होने को तैयार हूँ।
क्या लिया-दिया, क्या खोया-पाया
मिटा सब बही-खाते
मैं फिर नया होने को तैयार हूँ।
नए मौसम कि नयी शुरुआत
नए सिरे से शुरू करे बात
मैं फिर बदलने को तैयार हूँ।
मैं फिर नया होने को तैयार हूँ।
2 comments:
Gripping..:D
A fresh start accounts to a lot..:D As scary and confusing as it might seem in the beginning m sure it would yield a better ending if one could start as you guide in the poem..:D
Regards
Monica..:D
So touchy ..so inspiring lines for me
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